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देपालपुर पुलिस की बड़ी कार्रवाई: 126 बल्क लीटर अवैध देशी शराब का विधिसंगत विनष्टीकरण, शराब माफियाओं में मचा हड़कंप

देपालपुर। इंदौर ग्रामीण क्षेत्र में कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और अवैध गतिविधियों पर कठोर नियंत्रण की दिशा में एक और प्रभावशाली कदम उठाते हुए देपालपुर पुलिस ने बड़ी मात्रा में जब्त की गई अवैध देशी शराब का विनष्टीकरण किया। यह कार्रवाई न केवल क्षेत्र में शराब माफियाओं के खिलाफ सख्त संदेश है, बल्कि प्रशासन की सख्त निगरानी और तत्परता का स्पष्ट प्रमाण भी है। इस कार्रवाई का नेतृत्व इंदौर ग्रामीण एसपी हितिक वासल के निर्देशों एवं इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा गठित शराब विनष्टीकरण समिति के मार्गदर्शन में किया गया। थाना देपालपुर द्वारा आबकारी अधिनियम की धारा 34(2) एवं प्रकरण क्रमांक 88/2014 के तहत बरामद कुल 126 बल्क लीटर देशी शराब को माननीय न्यायालय से प्राप्त अनुमति के बाद ग्राम किरखेड़ा रोड स्थित नगर परिषद के डंपिंग ग्राउंड में सार्वजनिक रूप से पंचनामा दल की उपस्थिति में नष्ट किया गया। इस महत्वपूर्ण कार्रवाई के दौरान एसडीओपी संघप्रिय सम्राट, थाना प्रभारी रणजीत सिंह बघेल, तथा आबकारी और प्रशासनिक विभाग के अन्य अधिकारीगण मौके पर मौजूद रहे। पूरे विनष्टीकरण कार्य को कानूनन और पारदर्शी तरीके से अंजाम दिया गया, जिससे जनता में भरोसा और अपराधियों में भय का वातावरण बना है। सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई देपालपुर क्षेत्र में सक्रिय शराब तस्करों को स्पष्ट चेतावनी है कि प्रशासन अवैध व्यापार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा। इस कदम के बाद इलाके में शराब माफियाओं में हड़कंप मच गया है और कई संदिग्धों पर निगरानी बढ़ा दी गई है। पुलिस की इस निर्णायक कार्रवाई से साफ है कि इंदौर ग्रामीण क्षेत्र में अपराध और अवैध गतिविधियों के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर सख्ती से अमल हो रहा है। यह कार्यवाही न केवल प्रशासनिक दृढ़ता का परिचायक है, बल्कि समाज को नशा मुक्त बनाने की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम भी है।

देपालपुर अवैध कॉलोनी कांड में प्रशासनिक ब्रह्मास्त्र फेल, राजस्व प्रभारी योगेश सोलंकी बना ’घोटाले का संरक्षक’, रक्षक ही बन गया भक्षक

देपालपुर। नगर के खटवाड़ी रोड पर बसी अवैध कॉलोनी के खिलाफ हुए बड़े खुलासे के बाद अब तक की सबसे सनसनीखेज सच्चाई सामने आई है शासन का ही कर्मचारी, शासन को पहुंचा रहा है करोड़ों की राजस्व हानि। आरोप है नगर परिषद की राजस्व शाखा का प्रभारी योगेश सोलंकी इस पूरे प्रकरण में ‘ब्रह्मास्त्र’ बनकर दोषियों पर गिरने की बजाय खुद भ्रष्टाचार का कवच बन गया है। जिस अधिकारी पर शासन के जलकर, भवनकर, भूमिकर जैसे विविध करों की वसूली कर उन्हें शासन के खाते में जमा कराने की जिम्मेदारी है, वही अधिकारी अब इस सुनियोजित घोटाले का संरक्षक बन चुका है

आरोपो से घीरे राजस्व प्रभारी योगेश सोलंकी।

शिकायतकर्ता जीवन डोडिया की शिकायत और निर्माण शाखा के जांच अधिकारी नीरज गुप्ता की रिपोर्ट के अनुसार कॉलोनी पूरी तरह अवैध है। कृषि भूमि को अवैध रूप से प्लॉटिंग कर करोड़ों की जमीनें बेची गईं। न रेरा की मंजूरी, न टीएनसीपी की स्वीकृति, न ही नगर परिषद में पंजीयन. पूरी व्यवस्था को अंगूठा दिखाकर कॉलोनाइजर सूर्यप्रकाश नागर ने निर्माण कर दिया और अब तक 16 से अधिक मकान खड़े हो गए। लेकिन हैरानी की बात यह नहीं, बल्कि यह है कि जांच रिपोर्ट दो महीने से राजस्व शाखा की फाइलों में धूल खा रही है।

सीएमओ के निर्देश पर इंजीनियर गुप्ता ने जो रिपोर्ट सौंपी, वह अब तक राजस्व प्रभारी योगेश सोलंकी द्वारा दबाकर रखी गई है. क्यों? किसके कहने पर? किस दबाव में? जवाब किसी के पास नहीं। सूत्र कहते हैं कि सोलंकी पर ऊपर से भारी दबाव है। लेकिन सवाल ये है कि जब जनता का पैसा दांव पर है, जब शासन को करोड़ों की चपत लग रही है, तब यह कौन-सी सेवा है जहां ‘रक्षक ही भक्षक’ बन जाए।

शासन को जलकर, भवनकर, भूमिकर व अन्य टैक्स से लाभ पहुंचाना एक राजस्व अधिकारी का मूल कर्तव्य है, लेकिन योगेश सोलंकी जैसे अफसर इस कर्तव्य को खुलेआम रौंदते जा रहे हैं। प्लॉटिंग की गई भूमि पर न कोई डायवर्सन टैक्स वसूला गया, न विकास उपकर, न पंचायत ड्यूटी, न अन्य वैधानिक शुल्क! यानी सरकार को खुली लूट, प्रशासन का मौन समर्थन और दोषियों का निर्भीक नाटक!

इसी बीच कार्रवाई को रोकने के लिए छोटे स्तर का एक छूटभैय्ये नेता हरसंभव प्रयास कर रहा है। स्थानीय सूत्रों की मानें तो यह नेता एसडीएम राकेश मोहन त्रिपाठी और तहसीलदार लोकेश आहूजा पर दबाव बनाकर पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश कर रहा है। यही कारण है कि प्रशासनिक स्तर पर निष्क्रियता देखने को मिल रही है। और दोषी खुलेआम घूम रहे हैं।

कॉलोनाइजर सूर्य प्रकाश नागर

शिकायतकर्ता ने जब इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह की जनसुनवाई में दो बार दस्तक दी, तब भी कार्रवाई ठंडी पड़ी रही। क्या सरकार की जनसुनवाई अब सिर्फ दिखावा बनकर रह गई है? क्या ब्रह्मास्त्र की शक्ति अब सिर्फ पोस्टर और भाषणों तक सीमित रह गई है? देपालपुर का यह मामला न सिर्फ एक कॉलोनी घोटाले का पर्दाफाश है, बल्कि यह प्रशासन की आत्मा पर लगे दाग का प्रतीक बन चुका है।

अब सवाल यह नहीं कि कार्रवाई होगी या नहीं, बल्कि सवाल यह है कि क्या इस व्यवस्था में अब भी कोई ऐसा ईमानदार तंत्र बचा है जो ब्रह्मास्त्र की तरह न्याय का प्रहार कर सके? क्या दोषियों पर भारतीय दंड संहिता की धाराएं 420, 406, 467, 468, 471 और नगर पालिका अधिनियम की धारा 292(ए), 292(बी) लगाकर कड़ी सजा दी जाएगी या फिर यह मामला भी किसी और घोटाले की तरह फाइलों में सड़ता रहेगा।

शूटिंग की आड़ में बच्चियों से दरिंदगी, मोहसिन पर गंभीर, आरोप पुलिस ने तमाम धाराओं मैं किया मामला दर्ज

इंदौर। जिसे मध्यप्रदेश की औद्योगिक राजधानी कहा जाता है, वहाँ से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है जिसने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है। मामला सिर्फ एक एकेडमी  में छात्रा के साथ हुई अश्लील हरकत का नहीं, बल्कि उन तमाम हिंदू बेटियों की अस्मिता से जुड़ा है, जो खेलों के ज़रिए अपने भविष्य को संवारना चाहती हैं। यह सनसनीखेज़ मामला इंदौर की ड्रीम ओलंपिक शूटिंग एकेडमी से जुड़ा है, जहाँ पर दरिंदा कोच मोहसिन खान द्वारा एक छात्रा के साथ की गई शर्मनाक हरकत का खुलासा हुआ है। इतना ही नहीं, बजरंग दल के अनुसार यह कोई पहली घटना नहीं थी, बल्कि एक गहरी साजिश का हिस्सा थी, जहाँ हिंदू बेटियों को सुनियोजित तरीके से निशाना बनाया जा रहा था।

घटना की पीड़िता, जो कि मल्हारगंज इंदौर की निवासी है, ने अपने भाई के साथ थाना पहुंच कर पूरी घटना की जानकारी दी। उसने बताया कि वह ड्रीम ओलंपिक शूटिंग एकेडमी में वर्ष 2021 से 2023 नवम्बर तक शूटिंग की प्रेक्टिस करती रही थी। 8 नवम्बर 2023 को, जब वह रोज की तरह प्रेक्टिस के लिए पहुँची, तभी कोच मोहसिन खान ने उसे रायफल पकड़ने का बहाना बनाकर उसके सीने और जांघ को जबरन दबाया। जब लड़की ने विरोध किया और उसे धक्का दिया, तब मोहसिन खान ने उसे धमकी दी अगर तुझे एकेडमी में रहना है तो जैसा मैं कहूँ, वैसा करना होगा, वरना तेरा करियर खत्म कर दूँगा।” डर और शर्म के कारण लड़की ने उस समय कोई रिपोर्ट नहीं लिखवाई, लेकिन जब उसके परिवार को इस बात का पता चला, तो उन्होंने साहस कर पुलिस के पास जाकर रिपोर्ट दर्ज करवाई।

बजरंग दल के जिला मंत्री अनिल पाटिल ने बताया कि उन्हें कुछ समय पहले गुप्त सूचना मिली थी कि इंदौर के अन्नपूर्णा स्थित ड्रीम ओलंपिक शूटिंग एकेडमी में एक बड़ा षड्यंत्र चल रहा है। पाटिल के अनुसार, पिछले कई दिनों से बजरंग दल ने इस एकेडमी पर नजर बनाए रखी थी। जाँच के दौरान उन्हें कई वीडियो और बयान मिले जिसमें यह सिद्ध होता है कि कोच मोहसिन खान, जो खुद को ’शिक्षक’ कहता था, असल में एक शिकारी था जो मासूम हिंदू बेटियों को अपने जाल में फंसाता और शोषण करता था। बजरंग दल ने यह भी बताया कि मोहसिन खान एकेडमी के नीचे के फ्लोर पर शूटिंग सीखने वाली हिंदू लड़कियों को बुलाकर आपत्तिजनक हरकतें करता था और वीडियो भी बनाता था। जब आरोपी मोहसिन के फोन की तलाशी उसमें करीब 150 से भी अधिक हिंदू युवतियों को आपने प्रेम जाल में फसा रखा था। 

“चाय पर चर्चा” के बहाने संवाद, सौहार्द और संवेदनाओं का संगम: देपालपुर में न्याय और पत्रकारिता के बीच ऐतिहासिक मुलाक़ात

देपालपुर। कभी-कभी एक साधारण सी चीज़ जैसे एक कप चाय गहरे संवाद, रिश्तों की गरमी और सामाजिक जिम्मेदारियों की बातों की नींव बन जाती है। अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस के अवसर पर देपालपुर तहसील न्यायालय का दृश्य कुछ ऐसा ही था, जहाँ चाय की चुस्कियों के बीच न्याय और पत्रकारिता के दो मजबूत स्तंभ एक-दूसरे के और करीब आए। तहसील विधिक सेवा समिति, देपालपुर के अध्यक्ष एवं जिला न्यायाधीश श्री हिदायत उल्ला खान के न्यायालय विश्राम कक्ष में यह आत्मीय आयोजन हुआ, जहाँ देपालपुर प्रेस क्लब के पदाधिकारियों ने उनके साथ “चाय पर चर्चा” की। यह कोई औपचारिक बैठक नहीं थी, बल्कि सौहार्द्र, आपसी समझ और सामाजिक कर्तव्यों की गरिमा को महसूस करने का क्षण था। इस अवसर पर न्यायाधीश श्री हिदायत उल्ला खान ने देपालपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष श्री संदीप सेन को मध्य प्रदेश शासन की विशेष डायरी भेंट की, जो प्रशासनिक उत्तरदायित्व और स्मृतियों का प्रतीक है। वहीं प्रेस क्लब के सचिव श्री अब्दुल मतीन फारूकी को एक विलक्षण कलम भेंट कर लेखनी की शक्ति और पत्रकारिता की निष्ठा को सम्मानित किया गया। एक जिला न्यायाधीश द्वारा पत्रकार को कलम भेंट करना केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि उस मौन संदेश का प्रतीक था कि न्याय और पत्रकारिता, दोनों की ज़िम्मेदारी समाज के प्रति अपार है। कार्यक्रम में पत्रकारिता क्षेत्र के अनेक प्रतिष्ठित चेहरे शामिल हुए अजय जैन, श्रीराम बारोड़, भारतसिंह तंवर, अजय भावसार, सोमिल मेहता, कृष्णा बाला जाधव, दिलीप यादव, मनोज अग्रवाल, निलेश चौहान, मोइनुद्दीन कुरैशी, दरबारसिंह ठाकुर, दीपक सेन, अंकित भोला परमार और अन्य अनेक पत्रकारों की उपस्थिति ने इस क्षण को ऐतिहासिक बना दिया। इस आयोजन ने यह सिद्ध किया कि न्यायपालिका और मीडिया, दोनों ही लोकतंत्र के दो ऐसे स्तंभ हैं जिनके बीच मजबूत संवाद समाज को स्थिरता और न्याय दिलाने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। जब संवाद चाय की चुस्की के साथ हो, तो वह सिर्फ औपचारिक वार्ता नहीं रहती वह एक सांस्कृतिक, नैतिक और मानवीय बंधन बन जाती है। देपालपुर में मनाया गया यह अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस किसी कार्यक्रम की औपचारिकता भर नहीं, बल्कि सामाजिक सौहार्द और कर्तव्यनिष्ठ सहयोग का उदाहरण था जो आने वाले वर्षों तक प्रेरणा देगा कि एक कप चाय भी बड़े बदलावों का कारण बन सकती है। यह कार्यक्रम देपालपुर के सामाजिक इतिहास में एक सौम्य, सशक्त और सराहनीय अध्याय बनकर दर्ज हो गया है।

E-PAPER RANGEELA PRADESH

धामनोद में शराब माफियाओं का साम्राज्य : शासन के आदेशों की खुली अवहेलना, प्रशासन की चुप्पी में गूंजता घोटाला

धामनोद। धार जिले के धामनोद क्षेत्र में शराब माफिया का नेटवर्क इतने मजबूत और बेलगाम रूप में उभरकर सामने आया है कि शासन के आदेश और नियम केवल कागज़ों में सिमटकर रह गए हैं। यहां वाइन शॉप की आड़ में न केवल अवैध शराब की तस्करी चरम पर है, बल्कि शासन की गाइडलाइन की भी सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। शासन द्वारा स्पष्ट निर्देश जारी किए गए थे कि वाइन शॉप के पास कोई भी आहता यानी शराब पीने की जगह संचालित नहीं की जाएगी। यह निर्णय समाज में शराब के बढ़ते प्रभाव, अपराध और असामाजिक गतिविधियों को रोकने के लिए लिया गया था। लेकिन धामनोद में यह आदेश सिर्फ एक मज़ाक बनकर रह गया है।

इस तरह ढाबा के नाम पर चल रहे अहाते।

यहां कई वाइन शॉप संचालक खुलेआम आहते चला रहे हैं, जहां बैठाकर शराब पिलाई जा रही है। नशे में धुत लोगों की भीड़, झगड़े, गाली-गलौज और महिला विरोधी घटनाएं आम हो चुकी हैं। शासन की नीति को ठेंगा दिखाते हुए ये आहते प्रशासन की मौन सहमति से संचालित हो रहे हैं। इस पूरे नेटवर्क के केंद्र में लायसेंसी कंपनी श्री शारदुले रिटेल एंड ट्रेडिंग सर्विसेस एलएलपी का नाम प्रमुख रूप से सामने आ रहा है। यह कंपनी धामनोद वाइन शॉप का संचालन कर रही है, और सूत्रों के अनुसार शासन द्वारा निर्धारित दरों के विरुद्ध शराब अधिक कीमत पर बेची जा रही है। इससे न केवल आम उपभोक्ता की जेब पर चोट हो रही है, बल्कि यह सीधा आर्थिक अपराध बनता है। धामनोद का भूगोल भी इस अवैध कारोबार को बढ़ावा दे रहा है। चूंकि यह क्षेत्र धार और खरगोन जिलों की सीमा पर स्थित है, इसलिए यहां से एक जिले से दूसरे जिले में शराब की तस्करी आसानी से की जा रही है। गांव-गांव तक शराब की आपूर्ति हो रही है, जो शासन की नीति के बिल्कुल खिलाफ है, क्योंकि सरकार ने शराब की बिक्री केवल अधिकृत वाइन शॉप तक सीमित की है। सबसे गंभीर सवाल प्रशासन की भूमिका पर उठते हैं। धार जिले के सहायक आबकारी आयुक्त राजनारायण सोनी और सर्कल आबकारी उपनिरीक्षक प्रज्ञा मालवीय की भूमिका पर गंभीर आरोप लगे हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता और रहवासी खुलेआम आरोप लगा रहे हैं कि इन अधिकारियों की सांठगांठ के बिना यह पूरा अवैध नेटवर्क इतने संगठित रूप में चल ही नहीं सकता था। आबकारी विभाग की खामोशी, गश्त की कमी और शिकायतों पर कार्रवाई ना करना कई सवाल खड़े करता है। धामनोद में हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि अब यह क्षेत्र अवैध शराब कारोबार का एक संगठित केंद्र बन चुका है। नशे में डूबता युवा वर्ग, टूटता सामाजिक ढांचा और कानून व्यवस्था की गिरती साख ये सभी संकेत हैं कि अगर अब भी सरकार और प्रशासन ने कठोर कार्रवाई नहीं की, तो परिणाम भयावह होंगे। जनता की ओर से स्पष्ट मांग उठ रही है कि इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच हो, दोषी लायसेंसी कंपनी का लाइसेंस तत्काल निरस्त किया जाए, अवैध आहतों को बंद करवाया जाए, साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में विशेष टास्क फोर्स का गठन कर शराब माफियाओं पर नकेल कसी जाए। धामनोद अब सरकार से जवाब मांग रहा है। यह सिर्फ एक क्षेत्रीय समस्या नहीं, बल्कि शासन की नीयत और प्रशासन की निष्क्रियता का आईना है। क्या अब भी सरकार सोई रहेगी, या कोई ठोस कदम उठाकर जनता को जवाब देगी?

इनका कहना हैः-

“धामनोद क्षेत्र में अवैध शराब की बिक्री और शराब की ओवररेटिंग का विषय संज्ञान में आया है। मैं धार के आबकारी एसी (अधिकारी) को बोल देता हूँ, वे इस मामले को दिखवाएंगे।“
संजय तिवारी – उप आयुक्त, आबकारी, इंदौर संभाग

इनका कहना हैः-

“अभी मैं मीटिंग में हूँ। जो भी विषय है, कृपया मुझे टेक्स्ट मैसेज कर दीजिए।“
अभिजीत अग्रवाल – आबकारी आयुक्त, ग्वालियर

नांदेड़ के समीप बस दुर्घटन, असंतुलित होकर पुलिया से टकराई बस

महू। मुंबई महाराष्ट्र की और से आ रही पवन ट्रेवल्स की वोल्वो बस राऊ खलघाट फोरलेन स्थित नांदेड़ गांव के समीप एक पुलिया के डिवाइडर से टकरा कर दुर्घटना ग्रस्त्र हो गई। इस हादसे में ड्राइवर कंडक्टर सहित अन्य चार यात्रियों को मामूली चोटे आई है। बस दुर्घटना अल सुबह 5.30 बजे के लगभग की है।


जानकारी मुताबिक पवन ट्रेवल्स की वोल्वो बस इंदौर से मुंबई महाराष्ट्र के बीच आवागमन करती है। मंगलवार अलसुबह बड़गोंदा थाना क्षेत्र के राऊ खलघाट फोरलेन स्थित नांदेड़ गांव के समीप उक्त बस असंतुलित होकर एक पुलिया के डिवाइर से टकरा गई। इस दुर्घटना में बस ड्राइवर अमजद खान, कंडक्टर लखन गंभीर रूप से घायल हो गए। जबकि बस में सवार अन्य चार यात्रियों को मामुली चोटे आई है। बस दुर्घटना की सूचना पर 108 एंबुलेंस के ड्राइवर हरीश मौके पर पहुंचे और घायल ड्राइवर और कंडक्टर को लेकर इंदौर एमवाय रहना हुए।

इच्छापुर हाईवे पर बस को टक्कर मार महू की और दौड़ा कंटेनर महू पुलिस ने पकड़ा

महू। महू शहर के डीएसओआई चौराहे के समीप मंगलवार रात करीब 10 बजे एक तेज रफ्तार कंटेनर के चालक की राहगीरों ने धुनाई कर दी। मिली जानकारी के अनुसार कंटेनर क्रमांक एमपी 09 जीएच 5893 के चालक ने तेज रफ्तार में बलवाड़ा-चोरल के बीच इंदौर इच्छापुर हाईवे पर एक बस को टक्कर मार दी। बस को टक्कर मारने के बाद कंटेनर चालक मौके से भाग निकला। यहां मौजूद कुछ लोगों ने कार से कंटेनर का पीछा किया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि कंटेनर चालक ने रास्ते में कई वाहनों को अपनी चपेट में लिया। सिमरोल में ड्राइवर ने कंटेनर को महू की तरफ मोड़ लिया। महू से तेज गति से निकलने के दौरान कंटेनर ड्रीमलैंड चौराहे पर कुछ वाहनों को टक्कर मारते हुए बचा। यहां कुछ लोगां ने कंटेनर का पीछा कर रास्ते में कंटेनर को रोक लिया। यहां लोगो की भारी भीड़ जमा हो गई। कंटेनर का पीछा कर रहे लोगां ने कंटेनर चालक की पिटाई करना शुरू कर दी। मामले की सूचना मिलते ही कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस जवानों ने भीड़ को हटाकर ड्राइवर को कंटेनर से निकालकर थाने पहुंचाया। थाना प्रभारी राहुल शर्मा भी मौके पर मौजूद थे। महू पुलिस ने कंटेनर को भी जब्ती में लिया है।

मंत्री विजय शाह के केस में एसआईटी गठित

इंदौर। कर्नल सोफिया कुरैशी के संबंध में मंत्री विजय शाह द्वारा की गई अनर्गल टिप्पणी का देशभर में काफी बवाल मचा। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और उसी के आदेश पर एसआईटी जांच बैठाई गई है।
भारतीय सेना की अफसर कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित बयान देने वाले बड़बोले मंत्री कुंवर विजय शाह के मामले में जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार इसके आदेश दिए थे। जिसके बाद डीजीपी कैलाश मकवाना ने सोमवार रात को जांच के लिए एसआईटी का गठन कर इसका आदेश जारी कर दिया। तीन सदस्यीय एसआईटी टीम में प्रमोद वर्मा, आईजी सागर जोन, कल्याण चक्रवर्ती, डीआईजी व एसएएफ वाहिनी सिंह, एसपी डिंडौरी शामिल हैं। ये तीनों आईपीएस अधिकारी विजय शाह मामले की जांच करेंगे।

एक पत्रकार नहीं, मानवता का प्रहरी: जीवन डोडिया ने लापता मासूम को मां से मिलवाकर रचा इतिहास

देपालपुर/पीथमपुर। जब पत्रकारिता सिर्फ खबरों की खोज से आगे बढ़कर संवेदनाओं की भाषा बोलती है, तब वह समाज के लिए एक प्रेरणास्रोत बन जाती है। ऐसी ही एक मिसाल कायम की है सजग और जागरूक पत्रकार जीवन डोडिया ने, जिन्होंने एक मानसिक रूप से असमर्थ, गुमशुदा बालक को न केवल खोज निकाला, बल्कि उसे उसकी मां की ममता की गोद में लौटाकर एक संपूर्ण समाज को भावविभोर कर दिया। यह कोई सामान्य घटना नहीं थी – बालक न बोल सकता था, न अपनी पहचान बता सकता था, और न ही उसका कोई सुराग मिल पा रहा था। ऐसे में जब पुलिस और आम लोग भी असहाय प्रतीत हो रहे थे, तब जीवन डोडिया ने अपने वर्षों के पत्रकारिता अनुभव, मानवीय दृष्टिकोण और अथक प्रयासों से असंभव को संभव कर दिखाया।

जीवन डोडिया ने इस चुनौती को केवल एक खबर की तरह नहीं, बल्कि एक इंसान की तरह स्वीकार किया। उन्होंने ना सिर्फ गहराई से पड़ताल की, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में जाकर, लोगों से संपर्क करके, और घटनाओं को जोड़कर उस बालक की पहचान तक का सफर तय किया। यह किसी जासूसी फिल्म से कम नहीं था, मगर फर्क बस इतना था कि यहां नायक एक पत्रकार था – जिसका हथियार कलम नहीं, उसकी संवेदनशील दृष्टि और अद्भुत सूझबूझ थी। जब उस बालक को उसकी मां छोटी कुमारी के सामने लाया गया, तो आंखों में उतर आए आंसुओं ने सारी कहानी बयां कर दी। मां-बेटे का मिलन ऐसा दृश्य था जिसने वहां मौजूद हर व्यक्ति को भावुक कर दिया। यह सिर्फ एक पुनर्मिलन नहीं था, यह पत्रकारिता के उस युग का उद्घोष था, जो सेवा, समर्पण और संवेदना से संचालित होता है।

सम्मान के योग्य एक कार्य, समाज को दिशा दिखाता एक उदाहरण

देपालपुर प्रेस क्लब, पीथमपुर प्रेस क्लब और महू प्रेस क्लब ने जीवन डोडिया के इस अभूतपूर्व प्रयास की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। इस पुनीत कार्य को लेकर उन्हें समाजसेवी संगठनों द्वारा सम्मानित करने की तैयारियां भी प्रारंभ हो चुकी हैं। आज जब खबरों की दुनिया में सनसनी, टीआरपी और जल्दबाज़ी ने गहराई और मानवता को कहीं पीछे छोड़ दिया है, तब जीवन डोडिया जैसे पत्रकार समाज के लिए प्रकाशस्तंभ बनकर खड़े हैं। वे न केवल पत्रकार हैं, बल्कि वे एक जागरूक नागरिक, एक संवेदनशील इंसान और एक सच्चे राष्ट्रनिर्माता हैं। उनका यह कार्य यह सिद्ध करता है कि पत्रकारिता केवल घटनाओं का लेखा-जोखा नहीं, बल्कि करुणा, सेवा और न्याय की अलख जगाने वाला माध्यम है। जीवन डोडिया को नमन – आपकी कलम ने नहीं, आपके कर्म ने आज इतिहास रचा है।