देपालपुर। शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले स्कूल में जब शिक्षक ही अनुशासन और नैतिकता को कुचल दें, तो आने वाली पीढ़ी से क्या उम्मीद की जा सकती है? सीएम राइज शासकीय मॉडल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, देपालपुर में 27 जनवरी को हुई तथाकथित ‘रिक्रिएशन पार्टी’ शिक्षकों की अश्लीलता, अनुशासनहीनता और गैर-जिम्मेदाराना रवैये का खुला प्रदर्शन बन गई। सीसीटीवी फुटेज में साफ दिखा कि स्कूल के परिसर में दिनभर गूंजते भद्दे और अश्लील गानों पर शिक्षक मदहोश होकर नाचते रहे। इतना ही नहीं, शिक्षक चिलम तंबाकू का डब्बा जैसे भद्दे गानों पर डांस करते हुए दिखे। चेयर रेस जैसे आयोजनों में भी मर्यादाओं को ताक पर रखकर फूहड़ता परोसी गई। इस शर्मनाक कृत्य से छात्राओं में आक्रोश फैल गया है। जहां छात्राएं इस विद्यालय को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का केंद्र मानकर यहां दाखिला लेती थीं, वहीं अब वे खुलेआम कह रही हैं कि वे नए सत्र में सीएम राइज स्कूल छोड़कर शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में प्रवेश लेंगी।

छात्राओं का साफ कहना है कि यहां शिक्षा का स्तर तो गिर ही चुका है, अब माहौल भी दूषित हो गया है। इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि प्रभारी प्राचार्य अमिता मूंदड़ा और उन शिक्षकों पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई? क्या शिक्षा विभाग इस अनैतिकता की अनदेखी कर दोषियों को बचाने में लगा है? अगर इस तरह की घटनाओं को नजरअंदाज किया गया, तो यह सीएम राइज योजना की पूरी साख पर कालिख पोतने जैसा होगा। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीएम राइज स्कूलों की शुरुआत एक बेहतरीन शिक्षा प्रणाली स्थापित करने के उद्देश्य से की थी। लेकिन देपालपुर में इसका हाल यह हो चुका है कि शिक्षक खुद अनुशासनहीनता के उदाहरण पेश कर रहे हैं। अब सवाल उठता है कि क्या मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शिक्षा विभाग के इस शर्मनाक कृत्य पर कोई ठोस कार्रवाई करेंगे, या फिर यह मामला भी प्रशासनिक लापरवाही की भेंट चढ़ जाएगा? सूबे की डॉ. मोहन यादव सरकार के तहत स्कूली शिक्षा विभाग की कमान मंत्री उदय प्रताप सिंह को सौंपी गई थी, जिससे शिक्षा व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद थी। लेकिन वास्तविकता इसके ठीक विपरीत नजर आ रही है। शिक्षा के मंदिरों में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का जो सिलसिला चल रहा है, उसमें लोक शिक्षण विभाग के संयुक्त संचालक अरविंद सिंह और जिला शिक्षा अधिकारी सुषमा वेश्य की भूमिका सवालों के घेरे में है। ऐसा प्रतीत होता है कि वे सीएम राइज स्कूल की प्रभारी प्राचार्य अमिता मूंदड़ा को बचाने के प्रयास में जुटे हैं, जबकि शिक्षा व्यवस्था सुधारने की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। शिक्षा विभाग के सड़े-गले सिस्टम को कब तक ढकने की कोशिश की जाएगी? आखिर कब तक संयुक्त संचालक अरविंद सिंह और जिला शिक्षा अधिकारी सुषमा वेश्य प्रभारी प्राचार्य को संरक्षण देते रहेंगे? शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी और भ्रष्टाचारमुक्त बनाने के लिए क्या ठोस कार्रवाई होगी, यह देखने की जरूरत है।