महू। साल 2025 का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण आगामी 7 सितंबर, रविवार को लगने जा रहा है। इस दिन पितृ पक्ष का संयोग भी रहेगा।
श्री सिद्ध बाब श्यामगिरी सवाई मठ, दिल्ली दरबार से इंदौर मंडल श्री महंत आनंद गिरी जी महाराज (महू) बताते हैं कि उज्जैनी पंचांग खगोलीय और ज्योतिषीय दृष्टि से सबसे सटीक है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं और सूर्य का प्रकाश पृथ्वी की छाया की वजह से चंद्रमा पर नहीं पड़ता, तब यह घटना घटती है जिसे चंद्र ग्रहण कहते हैं। उज्जैनी पंचांग के अनुसार यह चंद्र ग्रहण कुंभ राशि और भाद्रपद नक्षत्र में लगेगा। यह ग्रहण राहु-केतु के प्रभाव को दर्शाता है। आनंद गिरी महाराज के अनुसार, यह ग्रहण रात में लाल चंद्रमा (ब्लड मून) के रूप में दिखाई देगा।

कब-कब दिखेगा ग्रहण?
साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा, भारत के अलावा चंद्र ग्रहण को एशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका, फिजी और अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में देखा जा सकेगा। महाराज जी बताते है, चंद्र ग्रहण के शुरू होने से करीब 9 घंटे पहले सूतक काल प्रारंभ हो जाता है, चूंकि यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा, इसलिए सूतक काल का प्रभाव भी यहां लागू होगा।
सूतक शुरू : 7 सितंबर 2025 दोपहर 12ः57 बजे
सूतक समाप्त : ग्रहण समाप्ति के साथ, यानी 8 सितंबर 2025 सुबह 1ः27 बजे
ग्रहण प्रारंभ : 7 सितंबर, रात 9ः57 बजे
पूर्ण ग्रहण प्रारंभ (ब्लड मून) : 11ः01 बजे रात
ग्रहण का मध्य (सबसे गहरा लाल) : 11ः42 बजे रात
पूर्ण ग्रहण समाप्त : 12ः23 बजे रात
ग्रहण समाप्त : 8 सितंबर, सुबह 1ः27 बजे
कुल अवधि : 3 घंटे 28 मिनट
पूर्ण लालिमा अवधि : 82 मिनट
सूतक और ग्रहण के नियम
ग्रहण काल में पूजा पाठ, मांगलिक कार्य नहीं करना, ग्रहण के दौरान भोजन ग्रहण नहीं करना, धारदार औजारों का उपयोग नहीं करना, देवी-देवताओं की मूर्तियों को नहीं छूना, सोना या शारीरिक संबंध नहीं बनाना, गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण के दौरान घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए। ग्रहण से पहले खाने-पीने की चीजों में तुलसी का पत्ता, कुशा डाल देना चाहिए ताकि नकारात्मकता का असर न हो।
चंद्र ग्रहण से पहले से बने हुए भोजन को फेंक दें और ग्रहण के बाद मात्र स्वच्छ और ताजा बने हुए भोजन का ही सेवन करें। गेहूं, चावल अन्य अनाज और अचार इत्यादि जिन्हें फेंका नहीं जा सकता, इन खाद्य पदार्थों में ग्रहण से पहले ही कुश घास और तुलसी दल डालकर ग्रहण के दुष्प्रभाव से संरक्षित किया जाना चाहिए।
ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान आदि करके संभव है तो घर और मंदिर को पानी में गंगाजल डालकर धोएं और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें। ग्रहण के बाद दान करना अत्यंत शुभ फलदायक माना जाता है। ग्रहण काल में महामृत्युंजय मंत्र का जाप, ॐ चंद्राय नमः का जाप, गुरु मंत्र का जाप, ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करना कई गुना फलदायी होता है।
भारत एवं अन्य देशों पर चंद्र ग्रहण प्रभाव
राजनीतिक अस्थिरता, विपक्षी सक्रियता, आंतरिक साजिशें और सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकते हैं। वर्तमान सरकार पर दबाव, न्यायिक हस्तक्षेप और नेतृत्व संकट संभव। सीमा विवाद, पाकिस्तान, बांग्लादेश, चीन के साथ, आतंकवादी गतिविधियां, अवैध प्रवासन और युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव, बैंकिंग क्षेत्र में अस्थिरता और कानून-व्यवस्था में गिरावट। प्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़ या जल संबंधी समस्याएं भी बढ़ सकती हैं। भावनात्मक अशांति, मीडिया में झूठी खबरें, स्वास्थ्य सेवाओं में घोटाले या सुधार बहस। बाढ़, जल प्रदूषण, बांध समस्याएं या तटीय तूफान बढ़ सकते हैं। हवाई यात्रा, आईटी आउटेज और उपग्रह संबंधी मुद्दे। राजनीतिक प्रचार और सरकार विरोधी आंदोलन। जहां ग्रहण दिखाई देता है, वहां राजनीतिक परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएं, भूकंप, बाढ़ या आर्थिक अस्थिरता संभव।
12 राशियों पर प्रभाव
मेष : लाभ
वृषभ : सुख
मिथुन : मान-हानि
कर्क : कष्ट
सिंह : स्त्री पीड़ा
कन्या : सुख
तुला : चिंता
वृश्चिक : व्यथा, चिंता
धनु : धन लाभ
मकर : क्षति
कुंभ : घात
मीन : व्यय हानि