थानों में जारी है रिश्वत खोरी, शिकायतों पर अधिकारी नहीं ले रहे संज्ञान
महू। स्थानीय स्तर पर कानून व्यवस्थाओं को लेकर लगातार शिकवा शिकायत निकल कर सामने आ रही है। रिश्वत, छीन छान, रौबदारी, मारपीट कर खौफ पैदा करते हुए जबरिया वसूली करने जैसे मामलों में पीड़ित पुलिस जवानों सहित उपनिरीक्षक एवं निरीक्षक तक की शिकायत कर चुके है, लेकिन लगातार वरिष्ठ पुलिस अधिकारी इन शिकायतो को नजरअंदाज कर रहे है। यही कारण है कि स्थानीय स्तर पर कुछ पुलिसकर्मी रिश्वत, रौबदारी और एफआईआर के नाम का खौफ दिखाकर जबरिया वसूली कर खाकी को दागदार करने में जुटे है। पिछले कुछ महिनों में ही ऐसी तमाम शिकायते स्थानीय थानों से निकल कर जनता के सामने आई है। ऐसे ही एक मामले में बड़गौंदा थाने के कार्यवाहक सहायक उप निरीक्षक गोविंद सिंह गिरवाल को पीडित की शिकायते के बाद लोकायुक्त की टीम ने रंगे हाथो 10 हजार की रिश्वत लेते पकड़ा है। भ्रष्ट उपनिरीक्षक ने एफआईआर कमजोर करने के नाम पर पीड़ित अनिल बारिया से 20 हजार रुपए की मांग की थी।
लोकायुक्त की टीम ने रिश्वत खौन पुलिसकर्मी से डॉक बंगले में की पुछताछ। – विडियों देखे
रिश्वत खौर उपनिरीक्षक को किया ट्रेप
पीडित अनिल बारिया निवासी ग्राम बसीपीपरी महू का 21 जनवरी 2025 को उसकी पत्नी रेखाबाई से पारिवारिक विवाद हुआ था जिसकी शिकायत अनिल की पत्नी ने बड़गौंदा थाने में की थी। मामले में बड़गौंदा पुलिस ने अनिल के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था। प्रकरण की जांच थाने के कार्यवाहक सहायक उपनिरीक्षक गोविंद सिंह गिरवार द्वारा की जा रही थी जिसके संबंध में गोविंद सिंह ने अनिल को प्रकरण के संबंध में बातचीत करने के लिए गवली पलासिया स्थित शराब की दुकान पर मिलने बुलाया और बातचीत के दौरान उपनिरीक्षक गोविंद सिंह ने दर्ज एफआईआर को कमजोर करने के एवज में 20 हजार रुपये की मांग की। इसके बाद पीड़ित अनिल बारिया ने पुलिस अधीक्षक राजेश सहाय, विपुस्था, लोकायुक्त कार्यालय इंदौर में उपनिरीक्षक द्वारा मांगी गई रिश्वत की शिकायत की। सत्यापन में शिकायत सही पाये जाने पर मंगलवार को लोकायुक्त ट्रेप दल का गठन किया गया और आरोपी उपनिरीक्षक गोविंद सिंह गिरवाल को गवली पलासिया स्थित शराब दुकान के सामने पीड़ित अनिल बारिया से 10 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथो पकडा गया। रिश्वतखौर सहायक उपनिरीक्षक के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण की धारा 7 के अंतर्गत कार्यवाही की गई। उक्त कार्रवाई लोकायुक्त निरीक्षक राहुल गजभिये, कार्यवाहक निरीक्षक रेनू अग्रवाल द्वारा की गई। इस दौरान विभाग के आरक्षक विजय कुमार, आरक्षक अनिल परमार, आरक्षक आशीष आर्य, आरक्षक पवन पटोरिया, कार्यवाहक प्रधान आरक्षक आशीष गुर्जर, आरक्षक कमलेश तिवारी एवं चालक शेरसिंह टीम में मौजूद थे।
डेढ़ तोला वजनी चैन छीनी, 30 हजार लेकर छोड़ा
महू। हाल ही में महू कोतवाली थाने से जुड़ा एक मामला काफी चर्चा में होकर गर्मा रहा है। दरअसल जुबेर पिता मो. यूसुफ निवासी बंड़ा बस्ती महू ने थाने के उपनिरीक्षक संदीप अखाड़िया और प्रधान आरक्षक सुमित सोनवाल सहित अन्य 2-3 पुलिसकर्मियों के खिलाफ संगीन आरोप लगाते हुए शिकायत की है।

जुबेर द्वारा पूर्व में एसपी हितिका वासल और हाल ही में ग्रामीण आईजी अनुराग को लिखित शिकायत में कहा गया है कि पिछले दिनों कहासुनी और मारपीट के मामले में महू पुलिस के उपनिरीक्षक संदीप अखाड़िया और प्रधान आरक्षक सुमित सोनवाल सहित अन्य 2-3 पुलिसकर्मियों द्वारा 16 फरवरी की दोपहर मुझे मेरे घर से लिस्टेंड गुंडे की तर्ज पर पकड़ कर थाने लाया गया और अमानवीय नृशंसता पूर्वक सर के बाल उखाड़ते हुए मेरे गले की डेढ़ तोला वजनी सोने की चेन छीन ली। यहीं नहीं थाने से छोड़ने के नाम पर 50 हजार की रिश्वत की मांग करते हुए 30 हजार में तोड़ कर मेरे भाई से कोतवाली थाने के पिछे रूपए लेकर मुझे छोड़ दिया।

पीडित जुबेर ने शिकायत में यह भी कहा कि महू पुलिस मुझे आदतन अपराधी बताकर मेरा समाजिक दमन कर मेरी छवि धूमिल करने में लगी है। जबकि मुझ पर किसी भी प्रकार का कोई संगीन अपराध नहीं है। मात्र 2 गाली गलोच के प्रकरण महू थाने में वर्षो पूर्व के दर्ज है। जिन्हे मेरे आपराधिक रिकार्ड की संज्ञा दी जा रही है। इस मामले में तीन दिनों पूर्व पीड़ित जुबेर कोतवाली चौक स्थित गांधी प्रतिमा के समक्ष परिवार के साथ धरने पर भी बैठा था। जुबेर ने दोषी पुलिसकर्मियों के विरूद्ध विभागीय कार्रवाई की मांग की है।
महू पुलिस का सोना कांड
महू पुलिस पर एक किसान ने सोना एवं रुपए गबन का आरोप लगाया है। इस मामले में पुलिस ने महू के ब्याज खोर विनोद से कथित सांठगांठ कर शिकायती आवेदन पर बगैर किसी जांच पड़ताल के मुकदमा दर्ज कर आंबाचंदन के अशिक्षित किसान को चोर बना दिया।

मामले में पुलिस ने किसान से सवा 03 किलो सोना सहित 30 लाख से अधिक कैश बरामद किया है। आरोप है सोना व केश जब्ती के बाद एसआई दीपक राठौर सहित अन्य पुलिसकर्मी आरोपित किसान को थाने ले जाने की जगह थाने के पीछे बने एक कमरे में ले गए। पुलिस पर यह भी आरोप है कि पुलिस ने न्यायालय में महज 5 लाख कीमत का सोना जब्ती करना बताया है। वहीं केश रूपए को भी घटते क्रम में ही दर्शाया। बहरहाल मामले में पीड़ित किसान ने आईजी से न्याय की गुहार लगाई है। लेकिन इसे भी दुर्भाग्य कहेंगे कि जिस पुलिस कर्मी ने किसान को उलझाया है आईजी ने उसी के हाथो में शिकायती जांच सौंप दी। पीडित के वकील के मुताबिक पुलिस को इस मामले में न्यायालय में जवाब तक देना महंगा पड़ जाएगा। मामले में तमाम साक्ष्य पीडित और वकील के पास मौजूद है। इसमें वीडियो फुटेज के साथ ही पुलिस कर्मी की रिकॉर्डिंग भी शामिल है। आरोपित पीडित के मुताबिक सोना व कैश उसकी पूंजी है।
