देपालपुर। नगर में ई-रिक्शा चालकों द्वारा यात्रियों से मनमाना किराया वसूले जाने की घटनाएँ लगातार बढ़ती जा रही हैं। महज 3 किलोमीटर के दायरे में प्रति किलोमीटर 20 रुपये से अधिक किराया वसूला जा रहा है, जो इंदौर जैसे महानगर से भी अधिक है। श्रद्धालु, आम नागरिक और विशेष रूप से महिलाएँ शोषण का शिकार हो रही हैं, लेकिन प्रशासनिक तंत्र पूरी तरह निष्क्रिय बना हुआ है।
ई-रिक्शा चालकों की खुली लूट: श्रद्धालुओं को बनाया शिकार
देपालपुर में श्री 24 अवतार मंदिर, जिसे पाँचवाँ धाम घोषित किया गया है, वहाँ प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। लेकिन बस स्टैंड से महज 3 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए हर श्रद्धालु को ₹20 किराया देना अनिवार्य कर दिया गया है। बनेडिया जैन मंदिर, जो मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, वहाँ तक जाने के लिए ई-रिक्शा चालक ₹25 प्रति सवारी वसूल रहे हैं। इंदौर से देपालपुर तक की 50 किलोमीटर की यात्रा बस से मात्र ₹50 में की जा सकती है, लेकिन देपालपुर के अंदर केवल 3 किलोमीटर के सफर के लिए ही श्रद्धालुओं को ₹20-₹25 देने पड़ रहे हैं। इंदौर में 5 किलोमीटर का ई-रिक्शा किराया मात्र ₹10 है, जबकि देपालपुर में इंदौर से दोगुना किराया वसूला जा रहा है।
महिलाओं के साथ बदसलूकी, डर के कारण नहीं करती शिकायत
ई-रिक्शा चालकों द्वारा सिर्फ श्रद्धालुओं से ही नहीं, बल्कि महिलाओं के साथ भी अभद्रता की जा रही है। यदि कोई महिला ₹10 किराया देती है, तो ई-रिक्शा चालक बदसलूकी पर उतर आते हैं। छोटे नगर की शर्म और डर के कारण महिलाएँ शिकायत दर्ज कराने से भी कतराती हैं। कई बार यात्रियों और ई-रिक्शा चालकों के बीच झगड़े की नौबत भी आ चुकी है।
दुकानदारों से भी जबरन उगाही, प्रशासन मौन
ई-रिक्शा चालकों ने केवल यात्रियों को ही नहीं, बल्कि स्थानीय व्यापारियों को भी लूटने का नया तरीका निकाल लिया है। दुकानों का प्रचार-प्रसार करने के नाम पर दुकानदारों से जबरन मोटी रकम वसूली जा रही है। व्यापारी चाहते न चाहते हुए भी पैसे देने को मजबूर हैं, क्योंकि यदि वे इनकार करते हैं, तो ई-रिक्शा चालक उनके खिलाफ यात्रियों को भड़काने का काम करते हैं।
प्रशासन की लापरवाही, परिवहन विभाग भी बना मूकदर्शक
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि परिवहन विभाग और स्थानीय प्रशासन ने अब तक इस समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया है। किराए की दरें तय करने के लिए कोई नियम लागू नहीं किया गया है। ई-रिक्शा चालकों पर कोई सरकारी नियंत्रण नहीं है, जिससे मनमानी वसूली बढ़ती जा रही है। कोई निगरानी तंत्र नहीं होने के कारण श्रद्धालु और नागरिक लगातार आर्थिक शोषण का शिकार हो रहे हैं।
श्रद्धालुओं और आम नागरिकों की माँग:
- ई-रिक्शा के लिए तय दरें घोषित की जाएँ और सभी चालकों को इनका पालन करने के आदेश दिए जाएँ।
- महिलाओं से बदसलूकी करने वाले चालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
- दुकानदारों से जबरन उगाही करने वाले चालकों पर कानूनी शिकंजा कसा जाए।
- प्रशासन तत्काल प्रभाव से ई-रिक्शा चालकों पर निगरानी रखने के लिए एक विशेष टीम गठित करे।
अगर प्रशासन अब भी नहीं जागा, तो यह समस्या आने वाले दिनों में और भयावह रूप ले सकती है, जिससे देपालपुर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भारी गिरावट आ सकती है। यह नगर के धार्मिक और आर्थिक विकास के लिए भी एक बड़ा खतरा साबित होगा।