इंदौर/देपालपुर। करोड़ों की जमीन हड़पने के लिए खुलेआम खून बहाया जा रहा है, और प्रशासन चुपचाप तमाशा देख रहा है। बेटमा निवासी राजेश चौहान की संदिग्ध मौत ने इस सड़े-गले सिस्टम की असलियत उजागर कर दी है। क्या यह आत्महत्या है, या इसे आत्महत्या दिखाने की साजिश है..?
पुलिस की अनदेखी बनी मौत की वजह
तीन बार पुलिस में शिकायत के बाद भी आरोपी खुलेआम घूमते रहे। राजेश को लगातार धमकियां मिल रही थीं। लेकिन सुरक्षा नहीं दी गई, क्यों पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया..? क्या पुलिस भी आरोपी पक्ष से मिली हुई थी..?
वायरल ऑडियो ने खोली गुनहगारों की पोल
राजेश ने मरने से पहले अपनी पत्नी को बताया कि उदय पुरी, महेश पुरी और अशोक चौहान पहलवान उस पर दबाव बना रहे हैं। यही नहीं, उसने कहा था कि अगर उसे कुछ हो जाए तो इन लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई जाए। लेकिन क्या पुलिस इन बड़े नामों पर हाथ डालने की हिम्मत करेगी..?
हत्या या आत्महत्या
राजेश ने खुद ही अपने दोस्त को फोन कर कहा था कि वह खतरे में है, उसे निकालो। फिर अचानक वह अपने घर आया और बिना बताए निकल गया, कुछ घंटों बाद खबर आई कि उसने जहर खा लिया। क्या उसे जबरन जहर दिया गया..? क्या साजिशन हत्या को आत्महत्या दिखाया जा रहा है..?
हत्या या आत्महत्या..? पुलिस सच छुपा रही है।
माफिया राज और पुलिस की दलाली
यह मौत सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि सिस्टम के सड़ने की निशानी है। जमीन हड़पने के लिए धमकियां, दहशत और मौत का खेल चल रहा है।
पुलिस प्रशासन सिर्फ तमाशबीन बना बैठा है, या फिर मोटी रकम लेकर चुप है..? क्या पुलिस के कुछ अफसर भी इस खेल में शामिल हैं..?
अब सवाल यह है
- क्या पुलिस आरोपी पक्ष को बचा रही है?
- राजेश को सुरक्षा क्यों नहीं दी गई, जबकि वह पहले ही खतरे की बात कह चुका था?
- वायरल ऑडियो में जिन लोगों के नाम हैं, उन की अब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?
न्याय की मांग।
इस मामले की CBI- SIT जांच होनी चाहिए, क्योंकि पुलिस की भूमिका संदिग्ध है।
आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारी हो और उन पर हत्या का मुकदमा चले।
पुलिस अधिकारियों की भूमिका की जांच हो। क्या वे भी इस खेल का हिस्सा हैं?
अगर अभी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह साबित हो जाएगा कि इस देश में माफिया राज चलता है और आम आदमी की जान की कोई कीमत नहीं!