Homeदेपालपुरदेपालपुर पुलिस की दिनदहाड़े 'रेड' बनी सौदेबाजी का अड्डा – लाखों की...

देपालपुर पुलिस की दिनदहाड़े ‘रेड’ बनी सौदेबाजी का अड्डा – लाखों की जुए की रकम दबाई

देपालपुर। देपालपुर थाना क्षेत्र के बनेडिया और मुडला गांव के बीच एक खेत में दिनदहाड़े जुआ खेलते करीब दो दर्जन लोगों को पुलिस ने पकड़ा। कार्रवाई 24 से 25 जुलाई के बीच हुई। पुलिस टीम में हेड मोहर्रिर कन्हैयालाल, आरक्षक रवि तोमर, विरेन्द्र पटेल, सचिन, थाना मोबाइल का प्राइवेट ड्राइवर रवि और डायल 100 का ड्राइवर शामिल थे। मौके से लाखों रुपये की नकदी बरामद हुई, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि कोई औपचारिक मामला दर्ज नहीं किया गया — क्योंकि पूरा प्रकरण वहीं “सेट” कर दिया गया।

खेत किराए पर, मुखबिरी के लिए अलग भुगतान

जहां जुआ खेला जा रहा था, वह खेत भी मामूली नहीं निकला। जानकारी के अनुसार खेत मालिक को रोज़ ₹1000 का किराया दिया जाता है, साथ ही नाल कटाई के ₹4000 भी अलग से चुकाए गए थे। इस पूरे रैकेट की सूचना पुलिस तक पहुंचाने के लिए बनेडिया गांव निवासी नूर नामक युवक को ₹1000 मुखबिरी के तौर पर दिए जाते थे।

पकड़े, फिर छोड़े – पैसे लेकर दबा दिया मामला

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, दिन में खेत पर दबिश दी गई थी और मौके पर लाखों की रकम बरामद हुई। सभी जुआरियों को पकड़ने के बाद पुलिसकर्मियों ने वहीं सौदेबाजी शुरू कर दी। लेन-देन कर अधिकतर लोगों को मौके पर ही छोड़ दिया गया और कोई विधिवत एफआईआर नहीं की गई। बाद में कुछ लोगों से दोबारा पैसों की मांग की जाने लगी, जिससे बात फैल गई।

टीआई रणजीत बघेल ने लिया संज्ञान – रोजनामचा में दर्ज की कार्रवाई

जब इस पूरे मामले की भनक थाना प्रभारी रणजीत बघेल को लगी, तो उन्होंने तत्काल सभी संलिप्त पुलिसकर्मियों को थाने तलब किया और कठोर पूछताछ की। प्रारंभिक पूछताछ के बाद टीआई बघेल ने घटना को रोजनामचा में दर्ज करते हुए दस्तावेजी कार्रवाई की शुरुआत की है। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या आगे इन पुलिसकर्मियों पर विभागीय जांच या निलंबन जैसी कार्रवाइयाँ होंगी?

पुलिस की साख पर फिर उठे सवाल

इस घटना ने न केवल स्थानीय पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी उजागर किया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जुआ किस तरह से खुलेआम और संरक्षित ढंग से चलाया जा रहा है। पुलिस की मिलीभगत और “मैनेजमेंट” की ऐसी घटनाएं आमजन के विश्वास को गहरा आघात पहुंचा रही हैं।

उच्चाधिकारियों की चुप्पी क्यों?

अब तक इस मामले पर किसी भी वरिष्ठ अधिकारी की कोई आधिकारिक टिप्पणी सामने नहीं आई है। क्षेत्रीय नागरिक और सामाजिक कार्यकर्ता इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं। यदि त्वरित कार्रवाई नहीं की गई तो यह समझा जाएगा कि पूरे सिस्टम में कहीं न कहीं मौन सहमति मौजूद है।

जवाबदेही तय होगी या फाइलों में दफ्न हो जाएगा मामला?
यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस बार पुलिस महकमा अपने ही कर्मचारियों पर कठोर कदम उठाएगा या फिर हमेशा की तरह यह मामला भी “इंटरनल सेटलमेंट” में सिमट जाएगा।

इनका कहना है:-

यह जानकारी मुझे भी प्राप्त हुई है। मैं स्वयं इस मामले की जांच कर रहा हूं। यदि प्राप्त जानकारी सत्य पाई जाती है, तो वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराते हुए आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

— रणजीत बघेल, टीआई देपालपुर

RELATED ARTICLES

Most Popular