HomeUncategorizedएक पत्रकार नहीं, मानवता का प्रहरी: जीवन डोडिया ने लापता मासूम को...

एक पत्रकार नहीं, मानवता का प्रहरी: जीवन डोडिया ने लापता मासूम को मां से मिलवाकर रचा इतिहास

देपालपुर/पीथमपुर। जब पत्रकारिता सिर्फ खबरों की खोज से आगे बढ़कर संवेदनाओं की भाषा बोलती है, तब वह समाज के लिए एक प्रेरणास्रोत बन जाती है। ऐसी ही एक मिसाल कायम की है सजग और जागरूक पत्रकार जीवन डोडिया ने, जिन्होंने एक मानसिक रूप से असमर्थ, गुमशुदा बालक को न केवल खोज निकाला, बल्कि उसे उसकी मां की ममता की गोद में लौटाकर एक संपूर्ण समाज को भावविभोर कर दिया। यह कोई सामान्य घटना नहीं थी – बालक न बोल सकता था, न अपनी पहचान बता सकता था, और न ही उसका कोई सुराग मिल पा रहा था। ऐसे में जब पुलिस और आम लोग भी असहाय प्रतीत हो रहे थे, तब जीवन डोडिया ने अपने वर्षों के पत्रकारिता अनुभव, मानवीय दृष्टिकोण और अथक प्रयासों से असंभव को संभव कर दिखाया।

जीवन डोडिया ने इस चुनौती को केवल एक खबर की तरह नहीं, बल्कि एक इंसान की तरह स्वीकार किया। उन्होंने ना सिर्फ गहराई से पड़ताल की, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में जाकर, लोगों से संपर्क करके, और घटनाओं को जोड़कर उस बालक की पहचान तक का सफर तय किया। यह किसी जासूसी फिल्म से कम नहीं था, मगर फर्क बस इतना था कि यहां नायक एक पत्रकार था – जिसका हथियार कलम नहीं, उसकी संवेदनशील दृष्टि और अद्भुत सूझबूझ थी। जब उस बालक को उसकी मां छोटी कुमारी के सामने लाया गया, तो आंखों में उतर आए आंसुओं ने सारी कहानी बयां कर दी। मां-बेटे का मिलन ऐसा दृश्य था जिसने वहां मौजूद हर व्यक्ति को भावुक कर दिया। यह सिर्फ एक पुनर्मिलन नहीं था, यह पत्रकारिता के उस युग का उद्घोष था, जो सेवा, समर्पण और संवेदना से संचालित होता है।

सम्मान के योग्य एक कार्य, समाज को दिशा दिखाता एक उदाहरण

देपालपुर प्रेस क्लब, पीथमपुर प्रेस क्लब और महू प्रेस क्लब ने जीवन डोडिया के इस अभूतपूर्व प्रयास की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। इस पुनीत कार्य को लेकर उन्हें समाजसेवी संगठनों द्वारा सम्मानित करने की तैयारियां भी प्रारंभ हो चुकी हैं। आज जब खबरों की दुनिया में सनसनी, टीआरपी और जल्दबाज़ी ने गहराई और मानवता को कहीं पीछे छोड़ दिया है, तब जीवन डोडिया जैसे पत्रकार समाज के लिए प्रकाशस्तंभ बनकर खड़े हैं। वे न केवल पत्रकार हैं, बल्कि वे एक जागरूक नागरिक, एक संवेदनशील इंसान और एक सच्चे राष्ट्रनिर्माता हैं। उनका यह कार्य यह सिद्ध करता है कि पत्रकारिता केवल घटनाओं का लेखा-जोखा नहीं, बल्कि करुणा, सेवा और न्याय की अलख जगाने वाला माध्यम है। जीवन डोडिया को नमन – आपकी कलम ने नहीं, आपके कर्म ने आज इतिहास रचा है।

RELATED ARTICLES

Most Popular