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राजपूत समाज के युवाओं ने फूल बरसा कर कराया दलित समाज का मंदिर में प्रवेश

सांघवी गाँव में सामाजिक समरसता का अद्भुत उदाहरण

बेटमा। सांघवी गाँव में राजपूत समाज के युवाओं ने एक अनोखी पहल करते हुए दलित समाज का मंदिर में प्रवेश करवाया। इस अवसर पर राजपूत युवाओं ने फूल बरसा कर दलित युवाओं का स्वागत किया और उन्हें मंदिर में प्रवेश करने के लिए आमंत्रित किया।इस पहल ने सांघवी गाँव को सामाजिक समरसता का एक अद्भुत उदाहरण बना दिया। सोमवार को गाँव सांघवी में मन्दिर के गर्भगृह में प्रवेश को लेकर बनी स्थिति को लेकर फैले असमंजस को लेकर तनाव की स्थिति निर्मित हो गई थी जिसके वीडियो वायरल होने व गफ़लत के चलते गाँव का नाम मीडिया के माध्यम से खराब हुआ जिसकी टिस यहां के बहुसंख्यक राजपूत समाज को लगी। राजपूत समाज के युवाओं का कहना है कि गाँव सांघवी में कभी भी मंदिर में प्रवेश को लेकर आजतक कोई ऐसी स्थिति निर्मित नही हुई जो लोग मन्दिर आते है वो दर्शन करते हैं जो लोग नही आते वो नही आते। पर गर्भगृह में केवल ब्राह्मण ही जाते है बाकी कोई अन्य समाज नही जाता। सोमवार को भी गर्भगृह में जाने की बात को लेकर ही असमंजस की स्थिति निर्मित हुई तो मंगलवार को राजपूत समाज के युवाओं ने दलित समाज पर फूल बरसा कर उनका मंदिर में प्रवेश कराया।राजपूत युवाओं ने इस पहल के माध्यम से समाज में एक नए युग की शुरुआत की है। उन्होंने दिखाया है कि समाज में बदलाव लाने के लिए हमें एकजुट होकर काम करना होगा और एक दूसरे के प्रति सम्मान और सहानुभूति रखनी होगी। दलित युवाओं को मंदिर में प्रवेश करवाने से न केवल उनका सम्मान बढ़ा है, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी गया है। यह पहल बताती है कि समाज में सभी लोगों को समान अधिकार और सम्मान मिलना चाहिए।

सामाजिक समरसता की आवश्यकता

सामाजिक कार्यकर्ता जीतू झालरिया ने बताया कि आज के समय में सामाजिक समरसता की आवश्यकता अधिक है। हमें एक दूसरे के साथ मिलकर रहना होगा और एक दूसरे का सम्मान करना होगा। सांघवी गाँव की यह पहल हमें यही सिखाती है कि समाज में बदलाव लाने के लिए हमें एकजुट होकर काम करना होगा। सांघवी गाँव की यह पहल एक अद्भुत उदाहरण है जो हमें सामाजिक समरसता के महत्व को समझाती है।

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