30 मार्च से प्रारंभ होंगी चैत्र नवरात्रि, श्री महंत ने बताए महत्व और पूजनविधि
श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा, श्री सिद्ध बाबा श्याम गिरी सवाई दिल्ली दरबार के इंदौर मंडल के श्री महंत आनंद गिरि जी महाराज ने बताया कि इस साल नवरात्रि विशेष रूप से फलदायी होगी, क्योंकि देवी भगवती का आगमन और प्रस्थान वाहन जगराज (हाथी) है, जो की शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। चैत्र नवरात्रि का पहला दिन हिंदू नववर्ष का प्रतीक भी है, और इसी दिन गुड़ी पड़वा तथा 2082 विक्रम संवत्सर का शुभारंभ होता है।

देवी गजराज पर करेगी आगमन और प्रस्थान
श्री महंत आनंद गिरी जी महाराज ने बताया कि इस बार नवरात्रि का आरंभ और समापन दोनों रविवार को हो रहा है, जिससे मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी और इसी पर प्रस्थान करेंगी। हाथी पर माता का आगमन बेहद मंगलकारी, सुखद माना जाता है, जो अच्छे वर्षा चक्र, सुख, समृद्धि और खुशहाली का संकेत देता है। श्री महंत बताते है कि देवी की सवारी से आने वाले समय की स्थिति का अंदाजा लगाया जाता है, जिसमें प्रकृति, कृषि और देश-विदेश समाज पर पड़ने वाले प्रभाव शामिल होते हैं।
शुभ योग –
श्री महंत ने ज्योतिषी गणना एवं पंचांग अध्ययन से कहा कि इस बार चैत्र नवरात्रि के पहले दिन यानी घटस्थापना तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग और इंद्र योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही शिववास योग का भी संयोग है। इन योग में जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही जीवन में सुखों का आगमन होगा।
कलश स्थापना मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि प्रारंभः 29 मार्च 2025, शाम 4ः27 बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्तः 30 मार्च 2025, दोपहर 12ः49 बजे
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्तः सुबह 6ः13 बजे से 10ः22 बजे तक
अभिजीत मुहूर्तः दोपहर 12ः01 बजे से 12ः50 बजे तक
नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपः
नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों 1. माँ शैलपुत्री, 2. माँ ब्रह्मचारिणी, 3. माँ चंद्रघंटा, 4. माँ कूष्मांडा, 5. माँ स्कंदमाता, 6. माँ कात्यायनी, 7. माँ कालरात्रि, 8. माँ महागौरी, 9. माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।
माँ शैलपुत्री : माता दुर्गा के नौ रूपों में से प्रथम रूप देवी शैलपुत्री का है जो चंद्रमा का दर्शाती हैं। देवी शैलपुत्री के पूजन से चंद्रमा से जुड़ें दोषों का निवारण होता हैं।
माँ ब्रह्मचारिणी : ज्योतिषीय दृष्टिकोण से माँ ब्रह्मचारिणी द्वारा मंगल ग्रह को नियंत्रित किया जाता हैं। माता के पूजन से मंगल ग्रह के नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं।
माँ चंद्रघंटा : देवी दुर्गा का तीसरा स्वरूप देवी चंद्रघण्टा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करने का कार्य करती हैं। इनके पूजन से शुक्र ग्रह के दुष्प्रभाव कम होते हैं।
माँ कूष्मांडा : भगवान सूर्य का पथ प्रदर्शन करती हैं देवी कुष्मांडा, इसलिए इनकी पूजा द्वारा सूर्य के शुभ प्रभावों से बचा जा सकता है।
माँ स्कंदमाता : देवी स्कंदमाता की पूजा से बुध ग्रह सम्बंधित दोष और नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।
माँ कात्यायनी : माता कात्यायनी के पूजन से बृहस्पति ग्रह से जुड़ें दुष्प्रभावों का निवारण होता हैं।
माँ कालरात्रि : शनि ग्रह को माता कालरात्रि नियंत्रित करती हैं और इनकी पूजा से शनि देव के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं।
माँ महागौरी : माँ दुर्गा का अष्टम स्वरूप देवी महागौरी की पूजा से राहु ग्रह सम्बंधित दोषों का निदान होता है।
माँ सिद्धिदात्री : देवी सिद्धिदात्री द्वारा केतु ग्रह को नियंत्रित किया जाता हैं और इनके पूजन से केतु के बुरे प्रभावों का निवारण होता हैं।
कन्या पूजन और राम नाम का जप
नवरात्रि के नौवें दिन रामनवमी का पर्व मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से भगवान राम की पूजा और जप के लिए है, और इसे नवरात्रि का समापन माना जाता है। नवरात्रि के आखिरी दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन छोटी कन्याओं को देवी के रूप में पूजा जाता है और उन्हें भोजन और उपहार दिए जाते हैं। यह भक्तों की श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है।